प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहर का जादू: छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है, इसका गठन 1 नवंबर 2000 को हुआ था और यह भारत का 26 वाँ राज्य है। पहले यह मध्यप्रदेश के अंतर्गत था। कहते है एक  समय इस क्षेत्र में 36 गढ़ थे, इसीलिये इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा। भारत का ऐसा राज्य है जिसे ‘महतारी'(माँ) का दर्जा दिया गया है।

“छत्तीसगढ़” तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केंद्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मंदिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर  वैष्णव,शैव,शाक्त,बौध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है। एक संसाधन संपन्न राज्य, यह देश के लिए बिजली और इस्पात का एक स्रोत है, जिसका उत्पादन कुल स्टील का 15% है।  छत्तीसगढ़ भारत में सबसे तेजी से विकसित राज्यों में से एक है।

छत्तीसगढ़ को भगवन श्री राम का ननिहाल भी कहा जाता है, इसलिए छत्तीसगढ़ का महत्व काफी बड जाता है , भगवन राम ने वनवास के काफी समय छत्तीसगढ़ के जंगलो में ही बिताये है राम वन गमन पथ छत्तीसगढ़ से हो कर गुजरती है
वैसे, यहां बता दें कि श्रीराम की वनगमन यात्रा उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि अयोध्या से शुरू होकर प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी होते हुए चित्रकूट तक आ रही है. इसी पथ को ही राम वनगमन मार्ग कहा जाता है. इसकी लंबाई करीब 177 किलोमीटर है

छत्तीसगढ़ में भगवन राम की माता का हुआ था जन्म –

छत्तीसगढ़ में चंदखुरी को भगवान श्री राम का ननिहाल कहा जाता है. यहां कौशल्या माता का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे 10वीं शताब्दी में बनाया गया था. माता कौशल्या का यह धाम अब और भी सुंदर और भव्य हो चुका है. राजधानी रायपुर के करीब बना माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर की खूबसूरती देखने लायक है. यह मंदिर तालाब के बीचों बीच बना हुआ है और आस पास जहां तक देखें वहां खूबसूरत दृश्य ही दिखाई देता है.

“छत्तीसगढ़” एक प्राचीन नाम नहीं है, इस नाम का प्रचलन १८ सदी के दौरान मराठा काल में शुरू हुआ। प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ “दक्षिण कोशल” के नाम से जाना जाता था।  

सभी ऐतिहासिक शिलालेख, साहित्यिक और विदेशी यात्रियों के लेखों में, इस क्षेत्र को दक्षिण कोशल कहा गया है। आधिकारिक दस्तावेज में “छत्तीसगढ़” का प्रथम प्रयोग १७९५ में हुआ था। 

छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से ३६ गढ़ो में बँटा था, यह गढ़ एक आधिकारिक इकाई थी, नाकि किले या दुर्ग। इन्हीं “३६ गढ़ो ” के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम कि व्युत्पत्ति हुई। (१ गढ़ = ७ बरहो = ८४ ग्राम)

इतिहास

मुख्य लेख

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कौशल का एक हिस्सा है और इसका इतिहास पौराणिक काल तक पीछे की ओर चला जाता है। पौराणिक काल का ‘कोशल’ प्रदेश, कालांतर में ‘उत्तर कोशल’ और ‘दक्षिण कोशल’ नाम से दो भागों में विभक्त हो गया था इसी का ‘दक्षिण कोशल’ वर्तमान छत्तीसगढ़ कहलाता है

सरगुजा जिला छत्तीसगढ़ का जिला मौर्य और नंद काल के सिक्कों की खोज के लिए उल्लेखनीय है। नंद-मौर्य युग के कुछ सोने और चांदी के सिक्के, समीपवर्ती काल के अकलतरा और ठठारी से प्राप्त हुए।

भूगोल

छत्तीसगढ़ के उत्तर में उत्तर प्रदेश  और उत्तर-पश्चिम में मध्यप्रदेश  का  शहडोल संभाग, उत्तर-पूर्व में ओडिशा और  झारखंड  दक्षिण में तेलंगाना,आंध्रप्रदेश और पश्चिम में महाराष्ट राज्य स्थित हैं। यह प्रदेश ऊँची नीची पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ घने जंगलों वाला राज्य है। यहाँ  साल,सैगोन साजा और बीजा और बाँस के वृक्षों की अधिकता है। यहाँ सबसे ज्यादा मिस्रित वन पाया जाता है। सागौन की कुछ उन्नत किस्म भी छत्तीसगढ़ के वनों में पायी जाती है। छत्तीसगढ़ क्षेत्र के बीच में महानदी  और उसकी सहायक नदियाँ एक विशाल और उपजाऊ मैदान का निर्माण करती हैं, जो लगभग 80 किमी चौड़ा और 322 किमी लंबा है। समुद्र सतह से यह मैदान करीब 300 मीटर ऊँचा है।

छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण

1. 2 नवंबर 1861 को मध्य प्रांत का गठन हआ, इसकी राजधानी नागपुर थी। मध्यप्रांत में छत्तीसगढ़ एक जिला था।

2. 1862 में मध्य प्रांत में पाँच संभाग बनाये गये जिसमें छत्तीसगढ़ एक स्वतंत्र संभाग बना, जिसका मुख्यालय रायपुर था, जिसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 3 जिलों (रायपुर, बिलासपुर, संबलपुर) का निर्माण भी हुआ।

3. सन् 1905 में जशपुर, सरगुजा, उदयपुर, चांगभखार एवं कोरिया रियासतों को छत्तीसगढ़ में मिलाया गया तथा संबलपुर को बंगाल प्रांत में मिलाया गया। इसी वर्ष छत्तीसगढ़ का प्रथम मानचित्र बनाया गया।

4. सन् 1918 में पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ राज्य का स्पष्ट रेखा चित्र अपनी पांडुलिपि में खींचा अतः इन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम स्वप्नदृष्टा व संकल्पनाकार कहा जाता है।

5. सन् 1924 में रायपुर जिला परिषद ने संकल्प पारित करके पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की माँग की।

6. सन् 1939 में कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में पंडित सुंदरलाल शर्मा ने पृथक छत्तीसगढ़ की माँग रखी।

7. सन् 1946 में ठाकुर प्यारेलाल ने पृथक छत्तीसगढ़ माँग के लिए छत्तीसगढ़ शोषण विरोध मंच का गठन किया जो कि छत्तीसगढ़ निर्माण हेतु प्रथम संगठन था।

8. सन् 1947 स्वतंत्रता प्राप्ति के समय छत्तीसगढ़ मध्यप्रांत और बरार का हिस्सा था।

9. सन् 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में भाषायी आधार पर राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष पृथक राज्य की माँग की गई।

10. सन् 1955 रायपुर के विधायक ठाकुर रामकृष्ण सिंह ने मध्य प्रांत के विधानसभा में पृथक छत्तीसगढ़ की माँग रखी जो की प्रथम विधायी प्रयास था।

11. सन् 1956 में डॉ. खूबचंद बघेल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ महासभा का गठन राजनांदगाँव जिले में किया गया। इसके महासचिव दशरथ चौबे थे। इसी वर्ष मध्यप्रदेश के गठन के साथ छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश में शामिल किया गया।

12. सन् 1967 में डॉक्टर खूबचंद बघेल ने बैरिस्टर छेदीलाल की सहायता से राजनांदगाँव में पृथक छत्तीसगढ़ हेतु छत्तीसगढ़ भातृत्व संघ का गठन किया जिसके उपाध्यक्ष द्वारिका प्रसाद तिवारी थे।

13. सन् 1976 में शंकर गुहा नियोगी ने पृथक छत्तीसगढ़ हेतु छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का गठन किया।

14. सन् 1983 में शंकर गुहा नियोगी के द्वारा छत्तीसगढ़ संग्राम मंच का गठन किया गया। पवन दीवान द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ पार्टी का गठन किया गया।

15. सन् 1994 में तत्कालीन साजा विधायक रविंद्र चौबे ने मध्य प्रदेश विधानसभा में छत्तीसगढ़ निर्माण संबंधी अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया जो सर्वसम्मति से पारित हुआ।

16. 1 मई 1998 को मध्यप्रदेश विधान सभा में छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए शासकीय संकल्प पारित किया गया।

17. 25 जुलाई 2000 को श्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा लोकसभा में विधेयक प्रस्तुत किया गया। 31 जुलाई 2000 विधेयक लोकसभा में पारित किया गया। 3 अगस्त 2000 राज्यसभा में विधेयक प्रस्तुत किया गया और 9 अगस्त 2000 को राज्यसभा में पारित किया गया। इसे 25 अगस्त 2000 तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण ने मध्‍य्रपदेश राज्‍य पुर्नगठन अधिनियम का अनुमोदित किया।

18. 1 नवंबर 2000 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई, छत्तीसगढ़ देश का 26वाँ राज्य बना।

19. छत्तीसगढ़ का निर्माण मध्यप्रदेश के तीन संभाग रायपुर, बिलासपुर एवं बस्तर के 16 जिलों, 96 तहसीलों और 146 विकासखंडों से किया गया। प्रदेश की राजधानी रायपुर को बनाया गया तथा बिलासपुर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।

20. छत्तीसगढ़ में विधानसभा की प्रथम बैठक 14 दिसंबर 2000 से 20 दिसंबर 2000 तक रायपुर में राजकुमार कॉलेज के जशपुर हाल में हुई।

जिले

छत्तीसगढ़ में 33 ज़िले हैं-

छत्तीसगढ़ के जिले कवर्धा, कांकेर, कोरबा, कोरिया, जशपुर, जांजगीर-चाम्पा, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, सक्ती, दंतेवाड़ा, दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर, बस्तर, महासमुन्द, रायगढ़, रायपुर, सरगुजा, नारायणपुर, बीजापुर, बेमेतरा, बालोद, बलौदा बाज़ार, राजनांदगांव, गरियाबंद, सूरजपुर, कोंडागांव, बलरामपुर, मुंगेली, सुकमा, गौरेला-पेंड्रा-मारवाही. 

छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना 16 ज़िलों के साथ हुई थी. इसके बाद, 1 मई, 2007 को दो और ज़िलों का गठन किया गया. इसके करीब पांच साल बाद, 1 जनवरी, 2012 को राज्य में नौ और ज़िले बनाए गए. इसके बाद, सितंबर, 2022 में राज्य सरकार ने पांच और ज़िलों का गठन किया. इन सभी ज़िलों के बाद, छत्तीसगढ़ में कुल 33 ज़िले हो गए. इन ज़िलों का कुल क्षेत्रफल 1,35,192 वर्ग किलोमीटर है. 

छत्तीसगढ़ के कला एवं संस्कृति

प्रदेश की आधिकारिक भाषा हिंदी,छत्तीसगढ़ी है और लगभग संपूर्ण जनसंख्या उसका प्रयोग करती है। आदिवासी कला काफी पुरानी है।

छत्तीसगढ़ के साहित्य

अनेक साहित्यको ने इस एक हजार वर्ष को इस प्रकार विभाजित किया है :

·         छत्तीसगढ़ी गाथा युग – सन् 1000 से 1500 ई. तक

·         छत्तीसगढ़ी भक्ति युग – मध्य काल, सन् 1500 से 1900 ई. तक

·         छत्तीसगढ़ी आधुनिक युग – सन् 1900 से आज तक

यह विभाजन किसी प्रवृत्ति की सापेक्षिक अधिकता को देखकर किया गया है। एक और उल्लेखनीय बत यह है कि दूसरे आर्यभाषाओं के जैसे छत्तीसगढ़ी में भी मध्ययुग तक सिर्फ पद्यात्मक रचनाएँ हुई है।

छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ की संस्कृति में गीत एवं नृत्य का बहुत महत्त्व है। यहाँ के लोकगीतों में विविधता है। गीत आकार में अमूमन छोटे और गेय होते है एवं गीतों का प्राणतत्व है – भाव प्रवणता। छत्तीसगढ़ के प्रमुख और लोकप्रिय गीतों में से कुछ हैं: भोजलीपंडवानीजस गीतभरथरी लोकगाथाबाँस गीत, गऊरा गऊरी गीत, सुआ गीतदेवार गीतकरमा, ददरिया, डंडा, फाग, चनौनी, राउत गीत और पंथी गीत। इनमें से सुआ, करमा, डंडा व पंथी गीत नाच के साथ गाये जाते हैं।

छत्तीसगढ़ के खेल

छत्तीसगढ़ी बाल खेलों में अटकन-बटकन लोकप्रिय सामूहिक खेल है। इस खेल में बच्चे आँगन परछी में बैठकर, गोलाकार घेरा बनाते है। घेरा बनाने के बाद जमीन में हाथों के पंजे रख देते है। एक लड़का अगुवा के रूप में अपने दाहिने हाथ की तर्जनी उन उल्टे पंजों पर बारी-बारी से छुआता है। गीत की अंतिम अंगुली जिसकी हथेली पर समाप्त होती है वह अपनी हथेली सीधी कर लेता है। इस क्रम में जब सबकी हथेली सीधे हो जाते है, तो अंतिम बच्चा गीत को आगे बढ़ाता है। इस गीत के बाद एक दूसरे के कान पकड़कर गीत गाते है।

1) अटकन-बटकन:- अटकन मटकन दही चटाका लौहा लाटा बन में काँटा चल चल बेटी गंगा जाबो गंगा ले गोदावरी पक्का पक्का बेल खाबो बेल के डारा टुट गे बिहाती डोकारी छूट गे।

फुगड़ी

बालिकाओं द्वारा खेला जाने वाला फुगड़ी लोकप्रिय खेल है। चार, छः लड़कियाँ इकट्ठा होकर, ऊँखरु बैठकर बारी-बारी से लोच के साथ पैर को पंजों के द्वारा आगे-पीछे चलाती है। थककर या साँस भरने से जिस खिलाड़ी के पाँव चलने रुक जाते हैं वह हट जाती है।

लंगड़ी

यह वृद्धि चातुर्थ और चालाकी का खेल है। यह छू छुओवल की भाँति खेला जाता है। इसमें खिलाड़ी एड़ी मोड़कर बैठ जाते है और हथेली घुटनों पर रख लेते है। जो बच्चा हाथ रखने में पीछे होता है बीच में उठकर कहता है।

खुडुवा (कबड्डी)

खुड़वा पाली दर पाली कबड्डी की भाँति खेला जाने वाला खेल है। दल बनाने के इसके नियम कबड्डी से भिन्न है। दो खिलाड़ी अगुवा बन जाते है। शेष खिलाड़ी जोड़ी में गुप्त नाम धर कर अगुवा खिलाड़ियों के पास जाते है – चटक जा कहने पर वे अपना गुप्त नाम बताते है। नाम चयन के आधार पर दल बन जाता है। इसमें निर्णायक की भूमिका नहीं होती, सामूहिक निर्णय लिया जाता है।

जातियाँ

छत्तीसगढ़ में कई जातियाँ और जनजातियाँ हैं, जिनमें से कुछ हैं केवट, गोंड, अमात, हल्बा, कंडरा, कंवर, ठाकुर, बैंगा, मुरिया, माडिया, उरॉव, कमार, भुंजिया, भारिया, बरई, सतनामी, कुर्मी,कलार,और बियार, मौवार , मरार।

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छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्‍थल

खरसिया रॉक गार्डन

·         राजिम

·         महामाया मंदिर

·         खूँटाघाट बाँध

·         मरी माई मंदिर, भनवारटंक

·         नवागढ़

·         सिद्धि मंदिर, बेमेतरा

·         सेतगंगा

·         चित्रकोट जलप्रपात

·         तीरथगढ़ जलप्रपात

·         इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान

·         कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

·         गिरौधपुरी रायपुर

·         गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान

·         कैलाश गुफा

·         गंगरेल बांध

·         सिरपुर

·         कौशल्या माता मंदिर

·         मल्हार,मंदिर

·         भोरमदेव मंदिर

·         मैनपाट,पर्यटक

·         बमलेश्वरी मंदिर

·         मैत्रीबाग भिलाई

·         कोरबा

·         सर्वमंगला मंदिर, कोरबा

·         बड़े तरिया

·         राजिम मंदिर

·         पुरखौती मुक्तांगन

·         जंगल सफारी इत्यादि|

छत्तीसगढ़ के त्योहार –

·         हरेली

·         होली

·         दीपावली

·         तीजा,पोला इत्यादि

और नया पुराने