जगन्नाथ मंदिर के खजाने का इतिहास

श्री जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार मंदिर के उत्तरीय दिशा में बना हुआ है रत्न भंडार  में दो चैम्बर है जिसमे भगवन जगन्नाथ उनके भैया बलभद्र और बहन सुभद्रा के वस्त्र आभूषण रखे हुए है , और उसी में मंदिर को प्राप्त दान सालो से चढ़ाया गया सोने चांदी के जेवर कीमती सामान रखे हुए है

रत्न भंडार में दो चेम्बर है एक बाहरी चेम्बर दूसरा भीतरी चैम्बर दोनों में आभूषण और सोने चांदी के जेवर है लेकिन इनको खोलने के भी अलग अलग नियम है

1960 में बनाये गए रूल्स के हिसाब से रत्न भंडार के चीजो को तिन भागो में बंटा गया है|कैटगरी 1 यानि वो रत्न आभूषण जो भीतरी भंडार में रखे गए है जो पुराने वस्त्र आभूषण है जिसको इस्तेमाल नहीं किया जाता दूसरी कैटगरी में वह सोने के वस्त्र आभूषण जिसको खास मौके में स्तेमाल किया जाता है जैसे रथ यात्रा आदि तीसरी कैटेगरी में वो आभूषण है जिसको भगवन को रोज पहनाये जाते है कैटेगरी दो और तिन के जो रत्न आभूषण जिसको बाहरी भंडार में रखे जाते है जबकि कैटेगरी एक के रत्न आभूषण भीतरी भंडार में रखे जाते है भीतरी भंडार में डब्बल लॉक के साथ मंदिर प्रबंधन कॉमेटी की सिल लगती है और चाबी राज्यसरकार के पास जमा रहता है जबकि बाहरी भंडार की चाबी मंदिर प्रबंधन के पास रहती है जिससे मंदिर के बाहरी भंडार को समय समय पर खोला जाता है लेकिन भीतरी भंडार को साल 1985 से 2024 तक नहीं खोला गया है

इसी कारण से लोगो में जिज्ञासा बनी रहती है की मंदिर के भीतरी भंडार में क्या है

भीतरी भंडार का इतिहास

भतरी भंडार में सोने चांदी रत्न रखे हुए है जिसकी कहानी 12 वि सदी जब ओड़िसा का नाम कलिंग था तब यंहा गंगा वंश के राजा अनंत वेर्मन चोंड का राज था जगन्नाथ मंदिर का जो वर्तमान सरूप भी इसी राजा  ने बनवाया था और दान में सोने के हांथी घोड़े बर्तन जेवर प्रदान किये थे जिसके कारण जगन्नाथ मंदिर 12 वी सदी से ही धन्य धान्य से परिपूर्ण रहा है  और आज तक यह मंदिर दुनिया के धनि मंदिरों में से एक है रजा अनंत भीम देव ने भी मंदिर को लगभग 14.5 लाख ग्राम सोना दान किया था जिनसे भगवन के आभूषण ,गंगा वंश के रजा नरसिंह देव ने ही कोणार्क सूर्य मंदिर बनवाया था इसके बाद राजा कपिलेन्द्र देव ने 16 हांथियो में सोना जो युद्ध में जित कर लाये थे सबको मंदिर को दान कर दिया था यह बात एक शिलालेख में भी बताई गई है

14 से 18 सदी के बिच मंदिर में इतना सोना हो गया था जिसके बाद मंदिर को 18 बार लुटने की कोशिस की गई थी अंग्रजो के ज़माने में रत्न भण्डारो का एक पूर्ण जानकारी के साथ सर्वेक्षण पहली बार  किया गया था

साल 1805 में पूरी के कलेक्टर ने रत्न भण्डारो सर्वेक्षण किया जिसमे

चांदी के आभूषण – 64

सोने के सिक्के     – 124

चांदी के सिक्के   – 1297

तांबे के सिक्के  – 106

सोने के मुहरे – 24

वस्त्र     – 1333

आखरी बार 1978 सर्वेक्षण इन्वेंट्री बनाई गई जिसमे भीतरी भण्डार में

148.78 kg चांदी

43.64 kg सोना

बाहरी भंडार में

73.64 kg चांदी

84.74 kg सोना

भीतरी भंडार को 1985 में आखरी बार खोला गया था लेकिन उस समय गिनती नहीं की गई थी | इसके बाद अब तक भीतरी भंडार को खोला नहीं गया साल 2018 में ओड़िसा हाई कोर्ट के आदेश के बाद जब इसको खोला जाना था तब पता चला की इसकी चाबी खो गई है

इसके बाद अब 2024 में भीतरी भंडार को खोला जा रहा है

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