जाने बेमेतरा के बारे में

 बेमेतरा छत्तीसगढ़ का एक जिला है छत्तीसगढ़ के बेमेतरा ज़िले का गठन 1 जनवरी, 2012 को दुर्ग ज़िले के विभाजन के बाद हुआ था. यह ज़िला रायपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और रायपुर संभाग के अंतर्गत आता है. बेमेतरा ज़िले का कुल क्षेत्रफल 2,854.81 वर्ग किलोमीटर है और इसकी कुल जनसंख्या लगभग 7,95,759 है. जिले की सीमा छत्तीसगढ़ राज्य की 7 जिलों यानी दुर्ग, रायपुर, बलोदा बाजार, मुंगेली, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, कवर्धा एवं राजनांदगावं से घिरी हुई है।

हालांकि, बेमेतरा का इतिहास बहुत पुराना है. इतिहास के मुताबिक, प्राचीन काल में यहां व्योम तारा नाम की रानी का राज्य था और उन्हीं के नाम पर इस क्षेत्र का नाम बेमेतर पड़ा था. बाद में, यह क्षेत्र सम्राट अशोक के साम्राज्य में शामिल हो गया था. साल 1742 में यह इलाका मराठों के और फिर 1853 से भोंसले राजा के अधीन रहा. राजाओं के बाद यहां ज़मींदारी प्रथा शुरू हुई और बेमेतरा के आखिरी ज़मींदार ज़रब सिंह वर्मा थे

बेमेतरा जिले में 2011 की जनगणना के अस्थायी आबादी के आंकड़ों के अनुसार, जनगणना विवरण निम्नानुसार है:

क्षेत्रफल2854.81 वर्ग कि.मी.राजस्व अनुविभाग की संख्या4
तहसीलों की संख्या9राजस्व निरीक्षक मण्डलों की संख्या30
ब्लॉकों की संख्या4ग्राम पंचायत की संख्या429
नगर पालिकाओं की संख्या8नगर निगमों की संख्या0
भाषाएंहिन्दी, अंग्रेजीगांवों की संख्या702

वर्तमान में बेमेतरा के कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री रणबीर शर्मा है 

बेमेतरा जिला में कुल 14 विश्विद्यालय है  

बेमेतरा में अनेक प्रसिद्ध देवी देवताओ का मंदिर है माँ भद्रकाली मंदिर, सिद्धि माता मंदिर जो संडी गाँव में स्थित है बेमेतरा जिला को जवानों का जिला भी कहा जाता है 

बेमेतरा जिला में तिन विधानसभा आते है साजा,नवागढ़,और बेमेतरा जिनके वर्तमान विधायक – साजा विधानसभा से श्री इश्वर साहू ,नवागढ़ विधानसभा से – दयालदास बघेल,और बेमेतरा से – दिपेस साहू है 

बेमेतरा के ऊपर एक काव्य बेमेतरा का हरय –

जय मा भद्रकाली के पावन भूइंयाँ , बेमेतरा कहाए हे । चंडी अउ सिद्धि के किरपा, जग म अंजोर बगराए हे । चेटुवा धाम म मेला लगे हे, गुरु घासी दास आश पूराए हे । साजा नवागढ़ बेरला भिंभौरी, थानखम्हरिया जिहाँ समाए हे ।

शिवनाथ के पानी सुग्घर, सिवाँर घाट म बोहाए हे । बेरला,कंडरका अउ ढाबा खुड़मुड़ी म, खारून नंदियाँ पाँव लमाये हे । चना जिहाँ के जऊंहर हावय, एशिया भर ममहाए हे ।

सुरेन्द्र दुबे,अजित शर्मा अउ वैभव, जिहाँ ले धरहा कलम उठाए हे । छत्तीसगढ़ी भाखा खातिर, ईश्वर जी आरुग अलख जगाए हे। पंडवाणी सुनव सब शांति के, वो पिरदा ले राग लमाए हे ।

अउ शब्दभेदी भर कोदू राम, जग म नाम कमाए हे । जम्मों किसम के कला जिहाँ ले, लोगन मन ल भाए हे । अउ कतको हाबय सतकर्मी, जेन भूइंयाँ के मान बढ़ाए हे।

फ़ौजी जिहाँ ले जागत हाबय, सबदिन रक्षा बर अगुवाए हे । रिंकी पांडेय के बुता देखव सब, निर्धन घर ज्ञान बगराए हे । माँ भद्रकाली के पावन भूइंयाँ , बेमेतरा कहाए हे ।

विकास कश्यप✍

बेमेतरा का प्रसिद्ध देव स्थल एवं मंदिर –

वैसे तो बेमेतरा जिला का हर मंदिर हर देव स्थल का एक इतिहास है लेकिन कुछ प्रसिद्ध मंदिर इस प्रकार है –

  1. सिद्धि माता मंदिर संडी – सिद्धि माता मंदिर बेमेतरा के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है इस तरह इसका नाम है उसी तरह इसका मान्यता भी है कहा जाता है की मंदिर में जो भी अपनी मन्नत ले कर इस मनरी में आता है उसकी सभी मन्नते पूरी हो जाती है नवरात्र से पहले इस मंसिर में बकरे की बलि दी जाती है मान्यताओं के अनुसार जिस भक्त की मन्नत पूरी होती है वह बकरे की बलि देता है

मा भद्रकाली मंदिर –

मा भद्रकाली मंदिर बेमेतरा में स्थित है, यह मंदिर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए बहुत धार्मिक महत्व है, यह पूजा के प्रसिद्ध स्थानों में से एक है जो छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में स्थित है। नवरात्र में इस मंदिर में दर्शन के लिये लोगो का ताता लगा रहता है

चेटुवाधाम –

चेटुवाधाम में स्थित अमरदास बाबा का मंदिर।  ग्राम चेटुवा में स्थित है बेमेतरा जिले के 25 किमी दूर शिवनाथ नदी तट किनारे स्थित यह मंदिर बाबा अमरदास को समर्पित है यंहा पर हर साल तीन दिवसीय मेला महोत्सव होता है ।

बेमेतरा से है प्रसिद्ध कवी सुरेंद्र दुबे-

सुरेंद्र दुबे (Surendra Dubey) कॉमिक कविताओं के एक भारतीय व्यंग्यवादी और लेखक हैं। दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में हुआ था।  वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं। उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं वह कई मंचो और टेलीविजन शो पर दिखाई दिया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में, देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथ्री से हसया रत्न पुरस्कार के भी प्राप्तकर्ता हैं।

पंडवानी गायन में भी बेमेतरा का एक बड़ा योगदान रहा है

पंडवानी गायन लोक कलाकार शांति बाई चेलक का एक विशिष्ट नाम है जो की बेमेतरा से है इनका जन्म 15/12/1968 को हुआ था | 1 साल की उम्र से ही ये पंडवानी गायन के क्षेत्र में है | एक बार हुआ ऐसा था की गांव में ही रामायण का कार्यक्रम था जिसमे इन्हे भी गायन को बोला गया और वहीं से इन्हे गायन में जाने का मौका मिला लेकिन उस समय इनके पिता तथा परिवार जन ने इन्हे गायन में जाने के लिए मना करते रहे | पर ये उनमे से कंहा थी जो इन बातो से हार मान जाये इन्होने अपनी पहिली पंडवानी गायिका किच्चत वध से की | शांति बाई चेलक के पिता शुरुवात से ही इनके गायन का विरोध करते रहे पर इन्होने हार नहीं मानी | और एक बार हुआ ऐसा की ये पंडवानी गायन का रिहर्सल कर रही थी और ये उस दिन स्वर नहीं पकड़ पा रहे थेतो इनके पिता जी ने इनकी ऋआज में मदद ली फिर क्या था  इनके पिता को भी आखिर में हार माननी पड़ी | और ये बस उस दिन से इनके साथी गायक के रूप में हर एक कार्यक्रम जाते थे | और फिर इन्होने कभी भी पीछे मुड़ के नहीं देखा

राजनितिक क्षेत्र –

राजनितिक क्षेत्र  में भी बेमेतरा का एक अहम् भूमिका रहा है वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हैं। दयाल दास बघेल बेमेतरा के नवागढ़ विधानसभा से है |

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