गणेश चतुर्थी कल: जानें शुभ मुहूर्त और सही समय

गणेश चतुर्थी कल: जानें शुभ मुहूर्त और सही समय
गणेश चतुर्थी, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान गणेश को 'विघ्नहर्ता' कहा जाता है, जो हर प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कल गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त कब है और किस समय भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह समाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है, और हर शुभ कार्य की शुरुआत उनकी पूजा से होती है। इस दिन भक्तगण अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

 गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तगण सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके गणेश जी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करते हैं और उनका विधिवत पूजन करते हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त जानना जरूरी है क्योंकि सही समय पर की गई पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।

कल के दिन गणेश चतुर्थी के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- पूजा का शुभ समय: सुबह 11:03 से दोपहर 01:34 तक।

इन मुहूर्तों के बीच भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करना और विधिवत पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।



गणेश चतुर्थी की पूजा विधि

1. प्रतिमा स्थापना: सबसे पहले भगवान गणेश की प्रतिमा को किसी साफ स्थान पर लाल या पीले वस्त्र पर स्थापित करें। प्रतिमा की स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है।
  
2. पूजन सामग्री: पूजा के लिए सामग्री में दूर्वा घास, सिंदूर, मोदक, लड्डू, नारियल, धूप, दीपक, फूल, अक्षत (चावल), पान के पत्ते, सुपारी और पंचामृत का उपयोग करें।

3. मंत्रोच्चार और आरती: गणेश जी की मूर्ति के सामने दीपक जलाकर, धूप दिखाकर, मंत्रों का उच्चारण करें। "ॐ गण गणपतये नमः" का जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इसके बाद गणेश जी की आरती करें।

4. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भगवान को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में इसे सभी लोगों में बांटें।

5. व्रत और उपवास: गणेश चतुर्थी के दिन कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। यह उपवास भगवान गणेश को समर्पित होता है और उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस दिन फलों का सेवन किया जा सकता है, और शाम को पूजा के बाद व्रत खोलना शुभ माना जाता है।

 
 गणेश चतुर्थी के अनुष्ठान और परंपराएं

गणेश चतुर्थी के दिन विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान और परंपराएं निभाई जाती हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बनाते हैं। इनमें मुख्य हैं:
- गणेश स्थापना: गणेश चतुर्थी के पहले दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों को स्थापित करते हैं।
- मंडल पूजा: समाज में सामूहिक रूप से मंडल पूजा का आयोजन किया जाता है, जहां बड़े-बड़े पंडालों में गणेश जी की विशाल मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और श्रद्धालु उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
गणेश चतुर्थी के दौरान सावधानियां

गणेश चतुर्थी के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- पर्यावरण की सुरक्षा: कोशिश करें कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए गणेश जी की मिट्टी से बनी प्रतिमा का उपयोग करें और इसे विसर्जन के समय किसी पानी के स्रोत में नहीं डालें, बल्कि घर में ही विसर्जन करने का प्रयास करें।
- स्वच्छता और सुरक्षा: पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करें।

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गणेश चतुर्थी की कथा

गणेश चतुर्थी से जुड़ी अनेक कथाएं हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध है कि माता पार्वती ने गणेश जी को अपने शरीर के उबटन से बनाया था। जब भगवान शिव घर आए और बालक गणेश ने उन्हें प्रवेश करने से रोका, तब शिव जी ने क्रोध में आकर उनका सिर काट दिया। माता पार्वती की विनती पर भगवान शिव ने गणेश को हाथी का सिर लगाया और उन्हें जीवनदान दिया। तब से भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है।

गणेश चतुर्थी एक ऐसा पर्व है जो न केवल भगवान गणेश के प्रति हमारी आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि यह हमें एकजुटता और उत्सव के साथ जीने का संदेश भी देता है। इस गणेश चतुर्थी, सही शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए भगवान गणेश की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करें।
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